Today's Bible Reading In Hindi - यूहन्ना 5:19

अभिवादन और प्रस्तुति 

मसीह में मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के पवित्र नाम में आपको शांति, आनंद और अनुग्रह प्राप्त हो। वह जो हमेशा ही अपने पिता की इच्छा के अनुसार और उसकी पूरी सहभागिता में होकर ही अपना काम करता है और हमेशा पिता की बात मानता है और जो हमारे लिए एक आदर्श है, उसी की स्तुति युगानुयुग होती रहे। और यह उससे विनती करे कि हम भी उसी की तरह बने।

हमारे आज के Today's Bible Reading In Hindi में जो हमने वचन लिया है वो यूहन्ना 5: 19 है। जहां प्रभु यीशु कहते हैं: “पुत्र अपने आप से कुछ नहीं कर सकता, परन्तु वही करता है जो वह पिता को करते देखता है।” यह शब्द गहरे और जीवन को बदल देने वाले हैं। यहाँ यीशु हमें यह दिखाते हैं कि उनका हर कार्य और हर निर्णय पिता की इच्छा से जुड़ा हुआ था। वे न तो अपने बल पर चले, न अपनी इच्छा को आगे रखा, बल्कि हर बात में पिता की इच्छा को पूरा किया।

क्या आपने कभी सोचा है कि इसका हमारे जीवन के लिए क्या अर्थ है? क्या हम अपने आप से, अपनी सामर्थ्य और बुद्धि के सहारे सब कुछ कर सकते हैं?  या हमें भी उसी तरह अपने जीवन को पिता की इच्छा में समर्पित करना चाहिए, जैसे हमारे प्रभु यीशु ने किया? यही हम आज इस वचन में और गहराई से समझेंगे। हम देखेंगे कि पिता और पुत्र की इस अद्भुत एकता से हमें कैसी प्रेरणा मिलती है और यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे लागू होती है।

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Today's Bible Reading In Hindi - यूहन्ना 5:19


शीर्षक : यीशु की आज्ञाकारिता और परमेश्वर पिता के साथ एकता।

पुस्तक : यूहन्ना रचित सुसमाचार 

लेखक : यूहन्ना

अध्याय : 5

वचन : 19

इस पर यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं, पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है, क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है। यूहन्ना 5:19

यूहन्ना 5:19 - संदर्भ

यूहनन्ना 5:19 में यीशु अपने और पिता परमेश्वर के बीच के गहरे संबंध को स्पष्ट करते हैं। यह कथन उस समय आता है जब यीशु यरूशलेम में बैथेस्दा के कुंड के पास एक व्यक्ति को चंगा करते हैं, जो 38 साल से बीमार था। चंगाई सब्त के दिन होने के कारण यहूदी नेता नाराज़ हो जाते हैं और उसे यह कहते हुए दोषी ठहराते हैं कि उसने नियम तोड़े। जब उन्होंने यह पूछा कि किसने उसे ऐसा करने को कहा, उसने यीशु का नाम लिया, जिससे यहूदी नेता और भी विरोधी हो गए, क्योंकि उन्होंने यह महसूस किया कि यीशु न केवल नियम तोड़ रहे थे बल्कि स्वयं को परमेश्वर का पुत्र कहकर पिता के बराबर भी दिखा रहे थे। 

इस पर यीशु अपने बचाव में कहते हैं, "मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वही जो वह पिता को करते हुए देखता है। क्योंकि जो कुछ वह करता है, वही पुत्र भी करता है।" इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि यीशु अपने हर कार्य में पिता की इच्छा के अनुसार चलते हैं और अपनी इच्छा से कुछ नहीं करते। 

साथ ही, वह यह भी बताते हैं कि उनके पास वही शक्ति और अधिकार है जो पिता के पास है, इसलिए सब्त के दिन चंगाई करना नियम का उल्लंघन नहीं बल्कि ईश्वरीय कार्य था। यीशु और पिता का यह विशेष संबंध त्रिएक परमेश्वर के सिद्धांत को समझने में महत्वपूर्ण है, जहाँ पुत्र पूरी तरह से पिता के साथ एक होता है और उनके कार्य हमेशा पिता की इच्छा और योजना के अनुसार होते हैं। इस प्रकार यूहनन्ना 5:19 यहूदी नेताओं के आरोपों के जवाब में यीशु के ईश्वरीय अधिकार और पिता के साथ उनकी पूर्ण एकता को स्थापित करता है और यह साबित करता है कि वह केवल एक साधारण मनुष्य नहीं बल्कि परमेश्वर के पुत्र हैं।

यूहन्ना 5:19 - टिप्पणी

इस पर यीशु ने उन से कहा - यीशु पर यहूदी आरोप लगा रहे थे कि वे परमेश्वर को अपना पिता कहकर अपने आप को उसके बराबर बता रहे हैं। यह उनके लिए निन्दा का अपराध था। परन्तु यीशु ने अपने उत्तर में न तो पीछे हटे, न ही सफाई में कहा कि यहूदी उन्हें गलत समझ रहे हैं। बल्कि उन्होंने उसी दावे को दृढ़ता से थामे रखा और उसे समझाया। यह आरंभिक शब्द उनके साहस और उनके दावे की गंभीरता को प्रकट करते हैं।

मैं तुम से सच सच कहता हूं - जब यीशु यह वाक्य दोहराते हैं तो यह एक बहुत ही गंभीर सत्य की घोषणा होती है। यह केवल सामान्य शिक्षा नहीं, बल्कि एक दृढ़ और अटल सत्य है।  वे स्वयं “सत्य” हैं, और उनका यह कहना हर तरह के शक से परे है। यहूदी समझ लें कि जो कुछ आगे वे कहने जा रहे हैं, वह सबसे अधिक विश्वसनीय और निश्चित बात है।

पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता - इस वाक्यांश का अर्थ यह नहीं कि पुत्र में शक्ति की कमी है या वह निर्बल है।  इसका असली भाव यह है कि पुत्र कभी भी पिता से अलग होकर, स्वतंत्र इच्छा से या उसके विरोध में कुछ नहीं करता। पिता और पुत्र का संबंध इतना गहरा है कि पुत्र के कार्य पिता की इच्छा और स्वभाव से पूरी तरह बंधे हुए हैं। इसका अर्थ निर्बलता नहीं बल्कि पूर्णता है—क्योंकि पुत्र अपनी इच्छा को पिता की इच्छा से अलग मानता ही नहीं। शैतान और मनुष्य अपने आप से काम करते हैं और अक्सर परमेश्वर की इच्छा के विपरीत चल पड़ते हैं, परन्तु पुत्र ऐसा कभी नहीं कर सकता। संक्षेप में पुत्र यदि पिता से स्वतंत्र होकर अपने आप से काम करने लगा तो बाइबल की एकेश्वरवाद की शिक्षा का सीधा खंडन होता और प्रभु यीशु ये दिखाते कि पिता और वो केवल अलग व्यक्ति नहीं बल्कि दो अलग ईश्वर भी हैं जो विधर्म होता। 

केवल वह जो पिता को करते देखता है - यहाँ “देखता है” शब्द को बहुत ध्यान से समझना चाहिए। यह कोई सामान्य दृष्टि नहीं है कि पहले पिता कोई काम करें और फिर पुत्र उसकी नकल करे।  इसका अर्थ है कि पुत्र पिता की पूरी योजनाओं, विचारों और उद्देश्यों को जानता है, क्योंकि वह सदा से पिता के साथ रहा है। वह पिता की गोद में है, उसकी निकटता में है, और उसकी गहरी योजनाओं और परामर्श से पूरी तरह परिचित है। इसलिए जो कुछ पिता चाहता और करता है, वही पुत्र करता है। यह “देखना” उनके बीच की निकटता, समान स्वभाव और एकता को दिखाता है।

क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है - यहाँ सीमा का कोई बंधन नहीं है। चाहे सृष्टि हो, संसार का शासन हो, मनुष्य का उद्धार हो, या कलीसिया की देखरेख—जो कुछ भी पिता करता है, पुत्र भी वही सब करता है। यह पूर्ण बराबरी का दावा है। अगर पुत्र वही सब कर रहा है जो पिता करता है, तो फिर उनकी शक्ति, ज्ञान और अधिकार में कोई अंतर नहीं। यहूदी इसे निन्दा मानते थे, लेकिन वास्तव में यही उनकी परमेश्वरता का सबसे बड़ा प्रमाण है।

उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है। - यहाँ सिर्फ काम की समानता नहीं, बल्कि तरीके की समानता भी है। पुत्र वही काम करता है, उसी तरह करता है और उसी शक्ति से करता है जैसे पिता करता है।  इसका अर्थ है कि उनके काम अलग-अलग या बँटे हुए नहीं हैं, बल्कि वे एक साथ और संयुक्त रूप से कार्य करते हैं। यही कारण है कि यीशु का सब्त के दिन किसी को चंगा करना पिता के ही काम के बराबर था। वह स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहे थे, बल्कि पिता की ही इच्छा और सामर्थ्य को पूरा कर रहे थे।

सारांश विचार

इन सब वाक्यांशों को जोड़कर देखें तो साफ़ दिखता है कि यीशु ने अपने ऊपर लगाए गए निन्दा के आरोप को नकारा नहीं, बल्कि उसे और दृढ़ किया। वे यह नहीं कह रहे कि वे परमेश्वर से छोटे हैं, बल्कि यह कि उनकी इच्छा और कार्य कभी भी अलग नहीं। वे स्वयं भी सर्वशक्तिमान हैं, परन्तु अपनी इच्छा को पिता की इच्छा से कभी अलग नहीं करते। यही उनका सिद्ध स्वभाव और उनकी पूर्णता है।

इस शिक्षा से यह बात गहराई से स्पष्ट होती है कि पिता और पुत्र का संबंध न तो प्रतियोगिता का है और न ही अलग-अलग कार्यों का। यह ऐसा संबंध है जिसमें एक ही शक्ति, एक ही इच्छा और एक ही कार्य दोनों में एक साथ प्रकट होते हैं।  यह शब्द “समान रूप से” यही दिखाता है कि पिता और पुत्र बराबरी में, संयुक्त रूप से और पूर्ण समानता में काम करते हैं।

यूहन्ना 5:19 - जीवन में लागू करना

यह वचन हमें सबसे पहले यह सिखाता है कि जीवन में अपने आप को अलग, स्वतंत्र और दूसरों से ऊपर दिखाने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। यीशु स्वयं परमेश्वर के पुत्र होकर भी अपने आप को पिता से कभी अलग नहीं दिखाते, बल्कि हमेशा उसकी इच्छा में ही जीते और काम करते हैं। यह हमें नम्रता और आज्ञाकारिता का मार्ग सिखाता है।

जब भी हम अपने जीवन में निर्णय लेते हैं, तो यह समझना चाहिए कि हमारा उद्देश्य अपनी इच्छा पूरी करना नहीं, बल्कि परमेश्वर की इच्छा को जानना और उसी के अनुसार चलना है। जैसे यीशु ने पिता के साथ पूरी एकता में काम किया, वैसे ही हमें अपने जीवन के हर छोटे-बड़े काम में यह देखना चाहिए कि क्या हम परमेश्वर की इच्छा के साथ जुड़े हैं या केवल अपनी योजनाओं में उलझे हैं।

यह वचन हमें यह भी दिखाता है कि यीशु ने कभी कोई काम अपने आप से नहीं किया, बल्कि पिता के साथ मिलकर किया। इसका मतलब यह है कि जब हम अपने कामों को परमेश्वर के साथ साझेदारी में करेंगे, तभी उनमें स्थायी आशीष होगी। अपने दम पर किए गए प्रयास भले ही थोड़ी देर सफल लगें, लेकिन परमेश्वर की इच्छा और मार्गदर्शन में किए गए काम स्थायी फल लाते हैं। 

सबसे गहरा संदेश यह है कि हमारे काम और हमारे जीवन की दिशा परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप होनी चाहिए। जब हम अपनी योजनाओं को परमेश्वर की योजनाओं में समर्पित कर देते हैं, तो हमारा जीवन उस एकता और शांति को अनुभव करता है जो यीशु और पिता के बीच है। यही सच्ची आत्मिक वृद्धि है और यही वह मार्ग है जिस पर चलकर हम अपने जीवन को अर्थपूर्ण और फलदायी बना सकते हैं।

यूहन्ना 5:19 - प्रार्थना

हे स्वर्गीय पिता, मैं इस नई सुबह के लिए तेरा धन्यवाद करता हूँ। यह दिन तेरी दया और तेरी करुणा का मेरे लिए प्रमाण है। मैं विश्वास करता हूं कि जैसे सूरज आज फिर से उगा है, वैसे ही तूने मेरी जीवन को भी नया बना दिया है। प्रभु यीशु, तू ही सच्चा प्रकाश है जो मेरे पैरों को ठोकर से बचाता हैं, आज मैं तेरे ही प्रकाश में चलना चाहता हूँ।

हे प्रभु यीशु, जैसे तूने वचन में कहा कि पुत्र अपने आप कुछ नहीं करता, बल्कि वही करता है जो पिता करता है, उसी तरह मैं अपना हृदय तुझे समर्पित करता हूं कि मैं भी अपने जीवन में तेरी आज्ञा और इच्छा से अलग कुछ न करूँ। मेरी सोच, मेरे फैसले और मेरे काम तेरी इच्छा के अनुसार हों और जब मैं अपने बल पर चलने लगू, तब मुझे रोक ले और तेरी आवाज़ की ओर लौटने में मेरी मदद कर। मुझे अपने आप में नम्र बनाए रख और सिखा कि हर कदम तेरा सहारा लेकर ही उठाना है।

मैं तुझसे अपने परिवार और अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करता हूँ। उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की हर आवश्यकता में तू ही उनका सहारा और रक्षक बन।  जैसे तू पिता के साथ एक होकर सब कुछ करता है, वैसे ही हमारे जीवन में भी तेरा सामर्थ्य और तेरा मार्गदर्शन प्रकट हो। हमें हर बुराई से बचा और हमें तेरी शांति में बनाए रख।

हे प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तू कभी पिता से अलग होकर कुछ नहीं करता और हमेशा वही करता है जो पिता की इच्छा है। इस अद्भुत एकता को देखकर मैं भी तुझसे यह विनती करता हूँ कि मेरा जीवन भी तेरी इच्छा के साथ एक हो जाए। मुझे तेरे साथ और गहराए से जोड़, ताकि मेरा हर दिन तेरे महिमा के लिए जिया जा सके।

आमीन।


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